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Sunday, June 29, 2008

जिंदगी! आज भी है

जिंदगी है दिन, जिंदगी है रात
जिंदगी में शाम आज भी है.
जिंदगी है तन्हा, जिंदगी
जिंदगी में खुशी का एक लम्हा आज भी है.

आँखों में नींद, चेहरे पे खौफ
होंठो पे मुस्कान आज भी है.
जिंदगी से गुस्सा, जिंदगी है सूखी
मौत का डर आज भी है.

बोतल है भरी, जाम है कड़वा
पीने वालो की तादाद आज भी है.
है जिंदगी पे पहरे, बंदिशे जिंदगी पर
महफिलों में रंगत आज भी है.

जिंदगी बे-मज़ा, बे-जायका, बे-मतलब
जिंदगी से प्यार आज भी है.
है रात काली, आसमान काला
फजर के आफ़ताब का नूर आज भी है.

रात अँधेरी, सूनी गलियां
तारों की टीम-टीमआहट आज भी है.
आँखों में नमी, दिलमें है शंका
मन में जज्बा आज भी है.

अनजान सी सूरत, बे-नाम है तू,
तेरी जुल्फों में खुशबु आज भी है.
बातो में गुस्सा, चेहरे पे नाराज़गी
आँखों में तेरी शर्म आज भी है.

जिंदगी रुकी- रुकी सी,
जिंदगी में उठा-पटक आज भी है.

शीशे में क़ैद, जंजीरों में जकड़ी,
दीवारों के बीच, बिना छत के,
जिंदगी घुटन भरी, मौत के करीब
कफन की तलाश में है जिंदगी!!!

पर, पर जिंदगी से उम्मीदे आज भी हैं............

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